भारत में संपत्ति का स्वामित्व, ख़ासकर परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदी गई संपत्ति को लेकर कई भ्रम और सवाल रहते हैं। एक आम प्रश्न यह है:
“क्या यदि पति किसी संपत्ति को अपनी पत्नी के नाम पर खरीदता है, तो वह बेनामी संपत्ति मानी जाएगी?”

इस सवाल का जवाब आसान नहीं, लेकिन कानून में इसका स्पष्ट उल्लेख है। आइए विस्तार से समझते हैं कि बेनामी संपत्ति क्या होती है, और पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति उस श्रेणी में आती है या नहीं।


🔍 बेनामी संपत्ति क्या है?

बेनामी संपत्ति वह होती है, जो किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर खरीदी जाती है, लेकिन उसका असली मालिक कोई और होता है।
2016 में बेनामी लेन-देन निषेध (संशोधन) अधिनियम, 1988 में बड़ा बदलाव किया गया, जिसे आमतौर पर बेनामी एक्ट कहा जाता है।

इस एक्ट के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को दूसरे के नाम पर खरीदे, लेकिन धनराशि देने वाला कोई और हो — और खरीदार के पास संपत्ति पर कोई अधिकार न हो — तो उसे बेनामी लेन-देन माना जाता है।


👨‍👩‍👧‍👦 परिवारिक संबंधों में विशेष छूट (Exception in Family Cases)

बेनामी कानून की धारा 2(9)(A) में एक महत्वपूर्ण अपवाद (Exception) दिया गया है:

यदि पति, पत्नी, भाई, बहन या बच्चे के नाम पर संपत्ति खरीदी जाती है, और खरीदारी के लिए धनराशि का स्रोत स्पष्ट रूप से उस व्यक्ति की आय, ज्ञात स्रोत या बैंकिंग माध्यमों से हो — तो यह बेनामी नहीं मानी जाएगी

📌 यानी:

पति यदि अपनी वैध आय से अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदता है, और उसका उद्देश्य धोखा देना नहीं है, तो वह बेनामी संपत्ति नहीं मानी जाएगी।


⚖️ सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के निर्णय

भारत के न्यायालयों ने समय-समय पर इस मुद्दे पर स्पष्टता दी है:

🔹 राजेश शर्मा बनाम भारत सरकार (2020)

कोर्ट ने कहा कि परिवारिक रिश्तों में पारदर्शिता और आय के स्रोत स्पष्ट होने पर ऐसे लेन-देन को बेनामी नहीं माना जा सकता।

🔹 कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स बनाम दुर्गा प्रसाद (ITR 82)

यह निर्णय स्पष्ट करता है कि यदि पत्नी के पास आय नहीं है और वह संपत्ति की देखभाल नहीं करती, तो संदेह की स्थिति में जांच की जा सकती है।


🧾 महत्वपूर्ण बातें जो ध्यान में रखनी चाहिए

  1. धन का स्रोत स्पष्ट और बैंक रिकॉर्ड द्वारा सिद्ध होना चाहिए।
  2. संपत्ति खरीदने का उद्देश्य पारिवारिक और वैध होना चाहिए — जैसे पत्नी के लिए भविष्य की सुरक्षा।
  3. संपत्ति पर नियंत्रण अगर पत्नी का है और वह उसे उपयोग करती है, तो बेनामी नहीं कहा जा सकता।
  4. किसी विवाद या जांच के दौरान, दस्तावेज़, भुगतान के सबूत और आयकर रिटर्न महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

📚 निष्कर्ष (Conclusion)

पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति को स्वतः बेनामी नहीं कहा जा सकता। यदि पति की आय का स्रोत स्पष्ट है, और संपत्ति पारिवारिक उद्देश्य से खरीदी गई है, तो वह बेनामी एक्ट के दायरे में नहीं आती

हालांकि, यदि संपत्ति के पीछे का उद्देश्य कर चोरी, ब्लैक मनी छिपाना या कानूनी धोखाधड़ी हो — तो वह जरूर बेनामी संपत्ति मानी जा सकती है, और संबंधित धाराओं के तहत संपत्ति जब्त और सज़ा तक हो सकती है।


🔔 सलाह: यदि आपने या आपके किसी जानने वाले ने ऐसी संपत्ति खरीदी है, तो किसी अनुभवी वकील की सलाह अवश्य लें। ExpertVakil पर आप अनुभवी अधिवक्ताओं से संपर्क कर सकते हैं।

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